रामनारायण रुइया महाविद्यालय का हिन्दी विभाग 1938 में प्रारंभ हुआ । यह मुम्बई विश्वविद्यालय का पहला महाविद्यालय है, जिसे बी.ए. में विशेष-विषय के रूप में हिन्दी पढ़ाने की अनुमति मिली । यहाँ के हिन्दी विभाग का इतिहास बहुत ही गौरवशाली रहा है । महाविद्यालय के हिन्दी विभाग को प्रा. जगदीशचंद्र जैन, नरेन्द्र जैन, प्रा. बंशीधर पंडा, डॉ.चंद्रकांत बंदिबडेकर, डॉ. देवेश ठाकुर, प्रा. मुकुन्द जोशी, प्रा. रमेश दलाल व डॉ. दत्तात्रय मुरुमकर जैसे प्रसिद्ध शिक्षकों ने अपनी सेवा दी है । हमारे महाविद्यालय में बी. ए. में छह पेपर पढ़ाए जाते हैं साथ ही मुम्बई विश्वविद्यालय द्वारा हिन्दी विभाग हो रिसर्च सेंटर की अनुमति भी दी गई है ।

      हिन्दी विभाग हमेशा से अपने विद्यार्थियों के चतुर्मुखी विकास के लिए प्रतिबद्ध है । वह महाविद्यालय में लगातार राष्ट्रीय संगोष्ठियों व विविध कार्यशालाओं का आयोजन करता आ रहा है, ताकि विद्यार्थी देश के विविध हिस्सों से आए विद्वानों के विचारों से लाभांवित हो सकें और साहित्यिक विधाओं की अलोचना पद्धति से परिचित हो सकें । विभाग प्रत्येक वर्ष हिंदी दिवस के दौरान अंतर्महाविद्यालयीन वक्तृत्व-स्पर्धा का आयोजन करता है । जिसमें महानगर के विविध महाविद्यालय के विद्यार्थी हिस्सा लेते हैं । विद्यार्थियों की रचनात्मक प्रतिभा को उभारने के लिए विभाग काव्य, निबंध व कहानी लेखन आदि प्रतियोगिताओं का समय-समय आयोजन करता आ रहा है साथ ही अन्य महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में आयोजित कार्यक्रमों के लिए विद्यार्थियों को तैयार करता है, तकि उन्हें अपनी क्षमता का पता चल सके । विभाग द्वारा समय-समय पर विद्यार्थियों के लिए विशिष्ट व्याख्यानों का आयोजन किया जाता है ।

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